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गोवा शिपयार्ड लिमिटेड का उभरता भविष्‍य

1947 में भारत के राजनीतिक अस्तित्‍व के रूप में पहला कदम रखने के साथ,नीति निर्माताओं ने अनुभव किया कि स्‍वदेशी युद्धपोत निर्माण का विकास करना रणनीतिक सामर्थ्‍य के तौर पर देश के सर्वोत्‍तम हित में होगा।1961 में गोवा के मुक्तिकरण के बाद,‘एस्‍टैलिरॉस नावैस डी गोवा’ नाम के एक छोटे शिपयार्ड के राष्‍ट्रीय महत्‍वाकांक्षा के प्रति योगदान की संभावना को पहचाना गया।बाद में इस यार्ड का नाम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड बदल कर इसे पश्चिमी तट पर देश के शीर्षरक्षा जहाज निर्माण केन्‍द्रों में से एक बनाने के लिये सतर्कतापूर्ण आकार,विकास और उन्‍नत बनाया गया।

इन वर्षों केदौरान, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने देश के नौसैनिक रक्षा क्षेत्र की बढ़ती जहाज निर्माण आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु सततविकास किया और इस निरंतरजारी प्रक्रिया में रक्षा क्षेत्र के साथ ही वाणिज्यिक क्षेत्र के लिये भी जहाजों की विस्‍तृत श्रृंखला को डिजायन एवं निर्माण किया।

चूंकि कुछ ही भारतीय शिपयार्ड इन-हाउस डिजायन सक्षमता से सुसज्जित हैं, जीएसएल ने इन-हाउस उत्‍पाद श्रृंखला के विकास प्रक्रिया में जहाजों के डिजाइन, निर्माण, मरम्‍मत एवं आधुनिकीकरण के क्षेत्र में रक्षा एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों के ग्राहकों की विशेष आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिये स्‍वयं के अनुसंधान एवं विकास को अपनाया है। जीएसएल में अधिकांश नयी जहाज निर्माण परियोजनाएं हमारी स्‍वयं की इन-हाउस डिजाइन पर आधारित हैं– जो कि इतने वर्षों के दौरान हमारे द्वारा अपनाये गये सघन अनुसंधान एवं विकास कार्यकलापों का परिणाम है। वर्तमान में, कंपनी 29 मीटर से 110 मीटर तक के गश्‍ती जहाजों की श्रृंखला का विकास कर रही है।

जहाज निर्माण की मुख्‍य योग्‍यता में निरंतर प्रगति करते हुए, यार्ड ने बाजार से संबंधित उत्‍पादों की श्रृंखला में सफलतापूर्वक विविधीकरण लाते हुए बाजार के अवसरो को तलाशने के लिये सक्रीय रूप से प्रयास किया है। इसने भारतीय नौसेना और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम के लिये प्रशिक्षण सिम्‍यूलेटर को डिजाइन एवं निर्माण किया है। गृह मंत्रालय के लिये इंटरसेप्‍टर नौकाओं की एक श्रृंखला का निर्माण किया जा चुका है और जिसका पश्चिमी तट पर राज्‍य तटीय पुलिस बल द्वारा उपयोग किया जा रहा है। गोवा शिपयार्ड द्वारा भारतीय नौसेना के लिये निर्मित नुकसान नियंत्रण सिम्‍यूलेटर संयोगवश एशिया में अपने प्रकार का पहला और विश्‍व में मौजूद कुछ ही में से एक है। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा ओएनजीसी कर्मचारियों के लिये तेल प्‍लेटफार्म पर संभावित किसी वास्‍तविक जीवन आपातकाल स्थितियों से निपटने हेतु समुद्री प्रशिक्षण सुविधा पर बचाव कार्यक्रम को डिजाइन एवं विकसित किया जा चुका है। जीएसएल ने आईएनएस हंस गोवा पर बंगलुरु की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के साथ मिलकर कैरियर बोर्न एयरक्राफ्ट के लिये भारत की प्रथम तटीय आधारित प्रशिक्षण सुविधा का प्रारंभ किया है। इस सुविधा का प्रयोग पायलटों को मिग 29 K और स्‍वदेशी एलसीए-नेवी का प्रशिक्षण देने के लिये किया जायेगा।

वर्तमान गतिशील समय में गति बनाये रखते हुए, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने नयी सुविधाओं और आधारभूत संरचना का विकास करने तथा मौजूदसुविधाओं में वृद्धि करने के लक्ष्‍य के साथ व्‍यापकआधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है। जिससे वह भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिये उच्‍च तकनीकी जहाजों की श्रृंखला का निर्माण करने के साथ ही निकट भविष्‍य में जहाज निर्माण के अपेक्षितकार्यभारवहन करने में सक्षम बन सकें।

यह आधुनिकीकरण योजना रक्षा उत्‍पादन मंत्रालय और जीएसएल के समकालीन शिपयार्ड होने की दूरदृष्टि का परिणाम है। चार चरणों में लागू इस आधुनिकीकरण योजना में माड्यूलर निर्माण तकनीक और आधुनिक कार्यशाला का प्रयोग कर एक नयी एकीकृत स्‍टील निर्माण सुविधा शामिल होगी। इसमें शिपलिफ्ट एवं ट्रांसफर सिस्‍टम के साथ समर्पित निर्माण बर्थ, सूखी मरम्‍मत बर्थें, उन्‍नत मैटेरियल हैण्‍डलिंग और नयी क्रेन सुविधा होगी। यहाँ नयी सामग्री भंडार, एमसीएमवी के निर्माण के लिये एक जीआरपी कॉम्‍पलेक्‍स, जहाज तैयार करने के लिये तैयारकरने वाली जेटी, एमसीएमवी व मरम्‍मत जहाज और विद्युत व यांत्रिकी सेवाओं और सुविधाओं में सुधार होगा। जहाज निर्माण एवं मरम्‍मत के प्रत्‍येक क्षेत्र में संसाधनों का युक्तिसंगत उपयोग, उन्‍नत मल्‍टीपायलर्स और व्‍यवसायिक विधियों का उपयोग तथा आजीवन मदद भी एजेंडे पर है।यह पुर्नसंरचना हमें निर्माण के गुणवत्‍ता एवं मात्रात्‍मक उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने तथा प्रतिस्‍पर्धी दरों पर कम निर्माण अवधि और सुपुर्दगी समय के साथ अधिक क्षमता और उत्‍पाद मिक्‍स वाले गुणवत्‍तापूर्ण जहाजों की आपूर्ति करने में समर्थ बनायेगी।

नयी निर्माण सुविधाओं का खाका ‘उत्‍पाद केन्द्रित अवधारणा’पर आधारित है, जहाँ जहाज निर्माण प्रक्रिया को चार अलग बहु-क्रियाशील उत्‍पादन कॉम्‍पलेक्‍स के माध्‍यम से सुचारु किया गया है जो कि व्‍यापारिक कौशल व जहाज उत्‍पादन प्रक्रिया को पूरा करने के लिये आवश्‍यक औजारों के मिश्रित स्‍थानीयकरण द्वारा आसानी से प्रबंधन किये जाने योग्‍यहैं। इससे कार्यबल का शिपयार्ड के चारों ओर विभिन्‍न स्‍थानों पर आवागमन न्‍यूनतम होगा, और जो उपकरणों और टूलिंग की क्षमता में वृद्धि लायेगा और उच्‍च दक्ष कार्यशाला वातावरण बनायेगा, जिसके फलस्‍वरूप निवेशित धनराशि और सामग्रियों के सुपुर्दगी में लगे समय में कमी आयेगी।

11 मार्च 2011 को जहाज आधुनिकीकरण परियोजना के चरण 1 और 2 को मंजूरी प्रदान कर दी गयी थे। आधुनिकीकरण परियोजना के इस भाग ने6000 Tसीमा तक के 120 Mजहाजों के डॉकिंग और 13600 वर्ग मीटर के जहाज हस्‍तांतरण क्षेत्र के साथ यार्ड की आधारभूत संरचना में सुधार किया है। अब जीएसएल जहाजों की लांचिंग और डॉकिंग के लिये आधुनिक शिपलिफ्ट सुविधा से युक्‍त भारत के प्रथम रक्षा शिपयार्ड में स्‍वयं की गणना कर सकता है। शिपलिफ्ट निर्माण की मंजूरी ने मरम्‍मत कार्यों को बल दिया है।

आधुनिकीकरण परियोजना जीएसएल को वर्तमान समय की तुलना में कम समय सीमा में ग्राहकों की आवश्‍यकतानुसार जहाज निर्माण करने में सक्षम बनायेगी। एक बार पूरा हो जाने पर परिणाम स्‍वरूप शिपयार्ड की स्‍टील, एल्‍यूमीनियम निर्माण क्षमता में प्रभावी वृद्धि होगी और जीआरपी हल जहाज अपनी वर्तमान क्षमता से तीन गुना होगें, तथासाथ ही जहाज मरम्‍मत क्षेत्र में अप्रत्‍याशित वृद्धि होगी। यह भारत के “स्‍वयं के जहाज”डिजाइन और निर्माण करने की रणनीतिक क्षमता में वृद्धि का हिस्‍सा है।

भारत के पश्चिमी तट पर 1957 में स्‍थापित की गई गोवा शिपयार्ड लिमिटेड भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्यरत शीर्ष आईएसओ 9001 – 2008 प्रमाणित शिपयार्ड है।

जीएसएल गोवा में जुआरी नदी के तट पर रणनीतिक रूप से अवस्थित है, जो अपने अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डे और सभी महत्‍वपूर्ण जहाज रेखाओं से गुजरने वालेअपने प्रमुख बंदरगाह से बेहतर रूप से जुड़ा एक प्रमुख अंतर्राष्‍ट्रीय पर्यटन केन्‍द्र है।

एक छोटे नाव निर्माण यार्ड से शुरुआत करते हुए, जीएसएल ने देश में सर्वा‍धिक परिष्‍कृत जहाज निर्माताओं में से एक होने का गौरव प्राप्‍त किया है। चार दशकों से अधिक समय से, जीएसएल ने स्‍टील और एल्‍यूमीनियम हल स्‍ट्रक्‍चर वाले आधुनिक गश्‍ती जहाजों के निर्माण में विशेष विशेषज्ञता हासिल करने के साथ ही रक्षा एवं वाणिज्यिक क्षेत्र के विविध अनुप्रयोगों के लिये परिष्‍कृत जहाजों की विस्‍तृत श्रृंखला को डिजाइन, निर्माण और कमीशन किया है।

जीएसएल की अंर्तनिहित शक्तियाँ हैं:

  • आईएसओ 9001 प्रमाणित कंपनी।
  • इन-हाउस डिजाइन क्षमता।
  • ट्रैबोन प्‍लेटफार्म के साथ विश्‍व स्‍तरीय कैड/कैम सुविधा।
  • ईआरपी युक्‍त प्रबंधन जो डिजाइन और योजना अनुप्रयोग के साथ एकीकृत है जो प्रभावी डाटाबेस प्रबंधन, परियोजना निगरानी एवं नियंत्रण में सक्षम बनाता है।
  • 6000 टन की शिपलिफ्ट सुविधा और मरम्‍म्‍त बर्थें।
  • आधुनिक स्‍टील निर्माण दुकानें जो कि सीएनसी प्‍लेट कटिंग मशीन, स्‍वचालित शॉट ब्‍लास्टिंग उपकरण व सीएनसी पाइप बेंडिंग मशीन से युक्‍त है।
  • आधुनिक इलेक्‍ट्रॉनिक कार्याशाला।
  • जहाज मरम्‍मत और सामान्‍य इंजीनियरिंग सेवाएं।
  • सिम्‍यूलेटड प्रशिक्षण सुविधा की स्‍थापना।
  • 1700 कुशल कर्मियों और 265 से अधिक योग्‍य इंजीनियरों व नौसेना वास्‍तुकारों का कार्यबल।

प्रस्‍तुत सेवाएं

जीएसएल अपने बहुमूल्‍यग्राहकों को सेवाओं की एक विस्‍तृत श्रृंखला पेश करता है जिसमें शामिल है:

  • जहाजों की विविध डिजाइनिंग एवं निर्माण और सिम्‍यूलेटिंग प्रशिक्षण सुविधा।
  • जहाजों की मरम्‍मत व आधुनिकीकरण।
  • स्‍टर्न गियर की आपूर्ति।

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